स्मृतियां हमारे मन के बंद दरवाजे पर बार बार दस्तक देती हैं और ना चाहते हुए भी वह हमारे अंदर आकर घर करके बैठ जाती हैं। हम अक्सर उन्ही यादों व घटनाओं का बार बार स्मरण करने लगते हैं उनमें खोने लगते हैं फिर उन्हीं का चित्रण करने लग जाते हैं, जो पाठक को बहुत […]

किसी शहर में एक बूढ़ा मदारी रहता था उसके पास संपत्ति के नाम पर एक टूटी सी झोपड़ी और एक बंदर था जिसे नचा कर मिलने वाले पैसों से वह अपना पेट पालता था। वह मदारी उस बंदर को अपने बेटे की तरह प्यार करता था। उसके खाने पीने और सुविधा का पूरा खयाल रखता

1- झंडे का दिन सुबह के छः बजे थे सूर्य की किरणे चारों ओर अपनी स्वर्णिम आभा बिखेर रही थी। हवा मंद मंद चल रही थी। बगीचे में खिले फूलों की महक सारे वातावरण को तरोताजा बना रही थी। इस समय तक बहुत से लोग सुबह की सैर को निकल पड़ते हैं। मैं भी उनमें

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